Next Story
Newszop

Chanakya Niti : मूर्ख व्यक्ति ही ऐसे हालात में भी मुंह फुलाए रहता है, आचार्य चाणक्य से जानें कब साथ रहने में समझदारी

Send Push
Chanakya Niti : चाणक्य नीति में जीवन जीने की कला और उसके व्यावहारिक पक्षों को विस्तारपूर्वक बताया गया है। आचार्य चाणक्य ने जीवन की रीति-नीतियों, समाज, धर्म, अर्थशास्त्र, शासन और राजनीति को श्लोकों के जरिए उदाहरण देते हुए समझाया है। वर्तमान दौर में जब मनुष्य तमाम तरह की उलझनों में फंसा रहता है, तब उसे चाणक्य नीति से स्पष्टता मिल सकती है। आज के दौर की आपाधापी और समय की कमी के बीच कई लोगों को समझ ही नहीं आ पाता है कि उसे कब अकेले रहना चाहिए और कब लोगों का साथ उसके लिए जरूरी है। ऐसे में आचार्य चाणक्य से जानें कब उसे बिल्कुल अकेला रहना चाहिए और कब लोगों का साथ जरूरी है। आचार्य चाणक्य से जानें कब अकेले और कब साथ रहेंकोई आपका कितना भी करीबी हो तब भी आपको उसे कुछ कार्यों में साथ नहीं रखना चाहिए और किसी से कितनी भी नाराजगी हो जाए, लेकिन कुछ हालात में उसे जरूर साथ रखना चाहिए, चाहे आपको मान-मनौव्वल ही क्यों न करना पड़े। कब अकेले और कब साथ रहना चाहिए, इसे लेकर आचार्य चाणक्य श्लोक के माध्यम से बताते हैंः एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः।चतुर्भिगमन क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभि रणम्।।चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य एकांत में मन के एकाग्रचित होने का पक्ष लेते हुए कहते हैं, तप अकेले में करना उचित होता है, पढ़ते समय दो, गाने में तीन, जाते समय चार, खेत में पांच और युद्ध में अनेक व्यक्ति साथ होने चाहिए। इसका आशय इस प्रकार है कि व्यक्ति को तपस्या या ध्यान करते हुए अकेले रहना चाहिए, चाहे उसके कोई कितना करीबी हो तब भी उसे ध्यान करते हुए साथ में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि वह आपके ध्यान में बाधा का कारण बन सकता है। ठीक इसी प्रकार पढ़ते समय दो लोगों का साथ में अध्ययन करना उचित होता है, ताकि पाठ समझ नहीं आने की स्थिति में दूसरा व्यक्ति आपको समझा सके। कब नाराजगी को दूर कर लेना चाहिएइसी तरह आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गाते समय तीन लोगों का साथ रहना अच्छा होता है। कहीं पैदल जाते समय चार लोग अच्छे होते हैं। इसी तरह खेत में काम करते समय पांच लोग होने चाहिए और युद्ध में जितने ज्यादा लोग हों, उतना बेहतर है। इसे आज के दौर में इस तरह समझा जा सकता है कि संकट की परिस्थिति में जितने अधिक लोगों का साथ मिले, उतना बेहतर है। और संकट आदि की स्थिति में जरूरत पड़ने पर सामने वाले व्यक्ति का मान-मनौव्वल भी करना पड़े तो उसमें हिचकिचाना नहीं चाहिए। नाराजगी को किनारे कर लेना चाहिए।
Loving Newspoint? Download the app now