मुंबई, 21 अप्रैल . भारत में रियल एस्टेट सेक्टर ने वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के शुद्ध निवेशों में दबदबा बनाए रखते हुए वित्त वर्ष 2025 के नौ महीनों में 73,903 करोड़ रुपये का निवेश किया.
एआईएफ निजी तौर पर एकत्र किए गए फंड हैं, जो निजी इक्विटी, हेज फंड और रियल एस्टेट जैसी गैर-पारंपरिक परिसंपत्तियों में निवेश करते हैं. यह अनुभवी निवेशकों के लिए हाई-रिस्क के साथ हाई-रिवॉर्ड का अवसर भी प्रदान करते हैं.
एनारॉक रिसर्च के अनुसार, संचयी शुद्ध एआईएफ निवेशों में रियल एस्टेट सेक्टर ने 15 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदारी हासिल की, जिसमें वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में सभी क्षेत्रों के कुल 5,06,196 करोड़ रुपए में से 73,903 करोड़ रुपए रियल एस्टेट में निवेश किए गए.
एआईएफ निवेश से लाभ पाने वाले दूसरे क्षेत्रों में आईटी/आईटीईएस, फाइनेंशियल सर्विस, एनबीएफसी, बैंक, फार्मा, एफएमसीजी, रिटेल, रिन्यूएबल एनर्जी और अन्य शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2025 के 9 महीने के अंत तक रियल एस्टेट में एआईएफ निवेश 68,540 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 के अंत तक 73,903 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली तीन तिमाहियों में 8 प्रतिशत की सराहनीय वृद्धि है. इस गति के बने रहने और बढ़ने की उम्मीद है.”
पिछले दशक में बाजार में सक्रिय एआईएफ की संख्या 36 गुना बढ़ी है, जो 31 मार्च, 2013 तक 42 से बढ़कर 5 मार्च, 2025 तक 1,524 एआईएफ हो गई है, जिसमें 2019 से पांच गुना वृद्धि हुई है.
वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2025 के बीच, एआईएफ में जुटाई गई प्रतिबद्धता में 83.4 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्धि देखी गई है.
एनारॉक ग्रुप के क्षेत्रीय निदेशक और अनुसंधान प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा, “पारंपरिक फंडिंग स्रोतों पर बढ़ती बाधाओं के बीच, एआईएफ रियल एस्टेट विकास के विभिन्न चरणों में पूंजी अंतराल को दूर करने के लिए एक इनोवेटिव फाइनेंसिंग मैकेनिज्म है, क्योंकि, वे घरेलू और विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाते हैं, इसलिए एआईएफ एक सस्टेनेबल और स्केलेबल फंडिंग इकोसिस्टम है.”
उन्होंने कहा कि ब्लेंडेड फाइनेंस मॉडल, एआई-ड्रिवन रिस्क असेसमेंट और सुव्यवस्थित नियामक ढांचे को अपनाने से एआईएफ का प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है. प्रतिबद्धताओं में यह उछाल मुख्य रूप से श्रेणी-II एआईएफ से जुड़ा है, जो पिछले पांच वित्तीय वर्षों में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान दे रहा है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि एआईएफ फंड जुटाने की गतिविधियों में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी अभी भी अधिकांश है. हालांकि, श्रेणी-II एआईएफ में संतुलन बना हुआ है, जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भागीदारी लगभग बराबर है.
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एसकेटी/एबीएम
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