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DEVI Bus Service आज से दिल्ली में शुरू, अंतिम मील कनेक्टिविटी को मिलेगा बढ़ावा, चेक करें रूट्स

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दिल्ली सरकार द्वारा लॉन्च की जा रही 76 इलेक्ट्रिक बसें राजधानी में हरित और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं. ये बसें मंगलवार से गाजीपुर डिपो से सड़कों पर उतरेगी. यह पहल दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल इंटरचेंज (Delhi Electric Vehicle Interchanges, DEVI) नामक योजना के तहत की जा रही है, जिसका उद्देश्य मेट्रो स्टेशनों और प्रमुख बस मार्गों को अंतिम मील कनेक्टिविटी प्रदान करना है. इन रूटों पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसेंपरिवहन विभाग के अनुसार, पहले चरण में ये बसें कुल 12 किलोमीटर की छोटी दूरी वाले रूट्स पर चलाई जाएंगी. आठ बसें आनंद विहार आईएसबीटी टर्मिनल और केशव नगर मुक्ति आश्रम के बीच चलेंगी, जबकि छह सीमापुरी-पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन मार्ग पर चलेंगी. दस बसें मयूर विहार फेज III पेपर मार्केट और मोरी गेट टर्मिनल को जोड़ेगी.इसके अलावा, आठ बसें आनंद विहार आईएसबीटी टर्मिनल और स्वरूप नगर के बीच चलेंगी, जबकि छह बसें आनंद विहार आईएसबीटी-हमदर्द नगर और संगम विहार रूट पर चलेंगी. आनंद विहार आईएसबीटी-कापसहेड़ा बॉर्डर रूट पर चौदह बसें लगाई जाएंगी.इसके अतिरिक्त, नांगलोई और ईस्ट विनोद नगर डिपो से भी आने वाले दिनों में DEVI योजना के तहत बसों का संचालन शुरू होगा. पर्यावरण मंत्री और सरकार की भागीदारीदिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, "22 अप्रैल को दिल्ली को सरकार की ओर से एक खास तोहफा मिल रहा है. 'DEVI' नामक इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू की जा रही है. इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहेंगे." पहले 'मोहल्ला बस सेवा', अब 'DEVI'गौरतलब है कि पहले यह सेवा आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के अंतर्गत 'मोहल्ला बस सेवा' के नाम से जानी जाती थी. लेकिन नई भाजपा सरकार ने इसे 'DEVI' के रूप में फिर से ब्रांड किया है. इसमें परिचालन और ढांचे से जुड़ी कई सुधारात्मक पहल की गई हैं, ताकि शहरी यात्रियों को बेहतर अनुभव मिल सके. योजना में देरी, लेकिन उम्मीदें कायमहालांकि इस योजना में कई महीनों की देरी हुई, लेकिन अब इसे पूरी ताकत के साथ लागू किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर रूट पहले से ही तय हो चुके हैं, और जनता की प्रतिक्रिया के आधार पर आगे और रूट जोड़े जाएंगे.एक परिवहन अधिकारी ने बताया, "इस योजना का उद्देश्य छोटी दूरी वाले मार्गों को कवर करना है, खासतौर पर वे क्षेत्र जहाँ बड़ी बसें नहीं चल सकतीं."(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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